सिपाही तू भी यहां


सिपाही सिर्फ वह नहीं
जो बॉर्डर पर है खड़ा
सिपाही तू भी यहां
जो उन्नति पाने चला

तुझे योद्धा ऐसा बनना है
जो कर आंख बंद रोकले
हर वह तीर जो
चलाएं भविष्य पर दोगले

हानि ना हो देश को
भविष्य का सवाल है
जो देश को आए आंच
तो मच जाए बवाल है

क्यूं करे तू भेद भाव
जब लक्ष्य सबका एक है
सबको होना है खुद खड़ा
नहीं लेना किसी का टेक है

क्या हिन्दू तू
क्या इसाई है
जो बचाना पाया देश को
जब दुविधा देश पर आईं है

सारे हृदय धड़कते एक लय से
सब लोगों का एक ही ईमान है
हाथ पकड़े चलते सब साथ हैं
कुछ ऐसा ही हिंदुस्तान है

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